मैं पीडा का राज कुंवर हूँ, तुम शहजादी रूपनगर की,
हो भी गया प्रेम हममें तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |
मेरा कुरता सिला दुखों ने, बदनामी ने काज निकाले,
तुम जो आँचल ओढे उसमे, अम्बर ने खुद जड़े सितारे |
मैं केवल पानी ही पानी, तुम केवल मदिरा ही मदिरा,
मिट भी गया भेद तन का तो, मन का हवन कहाँ पर होगा |
मैं जन्मा इसलिए कि थोडी उम्र आंसुओं की बढ़ जाए,
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी, रोज नए कंगन बनवाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल, तुम सुखांत की मैं दुखांत की,
मिल भी गए अंक अपने तो रस अवतरण कहाँ पर होगा |
मीलों जहाँ न पता खुशी का, मैं उस आंगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ, नित होंठ करे गीतों का न्यौता |
मेरी उम्र अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी,
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा |
इतना दानी नही समय कि, हर गमले मे फूल खिला दे,
इतनी भावुक नही जिंदगी, हर ख़त का उत्तर भिजवा दे |
मिलना अपना सरल नही पर, फिर भी यह सोचा करता हूँ,
जब न आदमी प्यार करेगा, जाने भुवन कहाँ पर होगा |
हो भी गया प्रेम हम मे तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |
A beautiful ghazal by Neeraj sung by Ashok Khosla.
1 comment:
nice ghazal...
will u plz send the link of this song, where this song can be downloded free...Unlays 2241
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