Wednesday, November 07, 2007

A thought....

Well, after a long time some addition here....

जीवित भी तू आज मरा सा,
पर मेरी तो ये अभिलाषा
चिता निकट भी पहुंच सकूं मैं,
अपने पैरों पे चलकर
फिर तू क्यों बैठ गया,
पथ पर थक कर