Saturday, April 19, 2014

सियासत

यह देखकर जनाजे के फूल भी हैरान हो गए,
कि अब शहीद भी हिन्दू और मुसलमान हो गए ||
लहू जो बिखरता है अपने देश की सरहदों पर, 
उसके रंग भी राम और रहमान हो गये ||

सियासत की चालों को कोई समझ न पाया,
खद्दर की खोल में सब शैतान हो गये ||
शहरे दिलों में जहां कभी जश्न रहता था,
वहां हरे और केसरिया मकान हो गये ||

Found on internet..

Sunday, November 25, 2012

योँ ही

Some lines I came across recently--

जवानिओं में जवानी को धूल करते हैं,
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं ।
अगर अनारकली है सबब बग़ावत का,
सलीम, हम तेरी शर्तें कबूल करते हैं ।।
By Raahat Indori...

इक लफ्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है,
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है ।।

Friday, October 23, 2009

shaam...

दिल नाउम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है|
लम्बी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है||
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Thursday, July 16, 2009

Hizaab...

हिजाबे फित्ना-परवर, अब उट्ठा लेती तो अच्छा था
खुद अपने हुस्न को पर्दा बना लेती तो अच्छा था

तेरी नीची नज़र खुद, तेरी इस्मत की मुहाफिज़ है
तू इस नश्तर की तेजी आज़मा लेती तो अच्छा था

तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था


Word meanings:
(हिजाबे फित्ना-परवर-- veil of revolution), नश्तर -- kind of knife

A ghazal by some Lucknawi shayar ;)

Monday, August 04, 2008

पहचान..

किसी ने अच्छा तो किसी ने बुरा जाना मुझे।
अपनी अपनी तरह से सबने पहचाना मुझे।।

Wednesday, April 09, 2008

Kuch duur hamaare saath chalo....

कुछ दूर हमारे साथ चलो, हम दिल कि कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आंखों से, वो बात ज़बानी कह देंगे |

जो प्यार करेंगे, जानेंगे, हर बात हमारी मानेंगे,
जो खुद न जले हों उल्फत में, वो आग को पानी कह देंगे |

जब प्यास जवान हो जायेगी, एहसास की मंजिल पायेगी,
खामोश रहेंगे और तुम्हें, हम अपनी कहानी कह देंगे |

इस दिल में ज़रा तुम बैठो तो, कुछ हाल हमारा पूछो तो ,
हम सादा दिल हैं मगर, हर बात पुरानी कह देंगे |

Tuesday, February 12, 2008

main peeda ka rajkunwar hoon

मैं पीडा का राज कुंवर हूँ, तुम शहजादी रूपनगर की,
हो भी गया प्रेम हममें तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |

मेरा कुरता सिला दुखों ने, बदनामी ने काज निकाले,
तुम जो आँचल ओढे उसमे, अम्बर ने खुद जड़े सितारे |
मैं केवल पानी ही पानी, तुम केवल मदिरा ही मदिरा,
मिट भी गया भेद तन का तो, मन का हवन कहाँ पर होगा |

मैं जन्मा इसलिए कि थोडी उम्र आंसुओं की बढ़ जाए,
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी, रोज नए कंगन बनवाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल, तुम सुखांत की मैं दुखांत की,
मिल भी गए अंक अपने तो रस अवतरण कहाँ पर होगा |

मीलों जहाँ न पता खुशी का, मैं उस आंगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ, नित होंठ करे गीतों का न्यौता |
मेरी उम्र अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी,
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा |

इतना दानी नही समय कि, हर गमले मे फूल खिला दे,
इतनी भावुक नही जिंदगी, हर ख़त का उत्तर भिजवा दे |
मिलना अपना सरल नही पर, फिर भी यह सोचा करता हूँ,
जब न आदमी प्यार करेगा, जाने भुवन कहाँ पर होगा |

हो भी गया प्रेम हम मे तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |


A beautiful ghazal by Neeraj sung by Ashok Khosla.

aansoo...

आँसू को बहुत समझाया तनहाई मे आया करो,
महफिल मे हमारा मज़ाक न उड़ाया करो,
इस पर आँसू तड़प कर बोले...
इतने लोगों मे आपको तनहा पाते हैं ...
बस इसलिए चले आते हैं!!!!!!!!

by some unknown.....