ऑफ़िस की प्रोग्रामिंग्स, मीटिंग्स, रिपोर्ट्स और जिन्दगी की भागमभाग से दूर कुछ क्षण अपनी प्रिय कवितावों, शायरी और गज़लों के साथ ।
Tuesday, February 12, 2008
aansoo...
आँसू को बहुत समझाया तनहाई मे आया करो, महफिल मे हमारा मज़ाक न उड़ाया करो, इस पर आँसू तड़प कर बोले... इतने लोगों मे आपको तनहा पाते हैं ... बस इसलिए चले आते हैं!!!!!!!!
1 comment:
yeh sahi hai bhai..
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