किसी ने अच्छा तो किसी ने बुरा जाना मुझे।
अपनी अपनी तरह से सबने पहचाना मुझे।।
ऑफ़िस की प्रोग्रामिंग्स, मीटिंग्स, रिपोर्ट्स और जिन्दगी की भागमभाग से दूर कुछ क्षण अपनी प्रिय कवितावों, शायरी और गज़लों के साथ ।
Monday, August 04, 2008
Wednesday, April 09, 2008
Kuch duur hamaare saath chalo....
कुछ दूर हमारे साथ चलो, हम दिल कि कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आंखों से, वो बात ज़बानी कह देंगे |
जो प्यार करेंगे, जानेंगे, हर बात हमारी मानेंगे,
जो खुद न जले हों उल्फत में, वो आग को पानी कह देंगे |
जब प्यास जवान हो जायेगी, एहसास की मंजिल पायेगी,
खामोश रहेंगे और तुम्हें, हम अपनी कहानी कह देंगे |
इस दिल में ज़रा तुम बैठो तो, कुछ हाल हमारा पूछो तो ,
हम सादा दिल हैं मगर, हर बात पुरानी कह देंगे |
समझे न जिसे तुम आंखों से, वो बात ज़बानी कह देंगे |
जो प्यार करेंगे, जानेंगे, हर बात हमारी मानेंगे,
जो खुद न जले हों उल्फत में, वो आग को पानी कह देंगे |
जब प्यास जवान हो जायेगी, एहसास की मंजिल पायेगी,
खामोश रहेंगे और तुम्हें, हम अपनी कहानी कह देंगे |
इस दिल में ज़रा तुम बैठो तो, कुछ हाल हमारा पूछो तो ,
हम सादा दिल हैं मगर, हर बात पुरानी कह देंगे |
Tuesday, February 12, 2008
main peeda ka rajkunwar hoon
मैं पीडा का राज कुंवर हूँ, तुम शहजादी रूपनगर की,
हो भी गया प्रेम हममें तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |
मेरा कुरता सिला दुखों ने, बदनामी ने काज निकाले,
तुम जो आँचल ओढे उसमे, अम्बर ने खुद जड़े सितारे |
मैं केवल पानी ही पानी, तुम केवल मदिरा ही मदिरा,
मिट भी गया भेद तन का तो, मन का हवन कहाँ पर होगा |
मैं जन्मा इसलिए कि थोडी उम्र आंसुओं की बढ़ जाए,
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी, रोज नए कंगन बनवाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल, तुम सुखांत की मैं दुखांत की,
मिल भी गए अंक अपने तो रस अवतरण कहाँ पर होगा |
मीलों जहाँ न पता खुशी का, मैं उस आंगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ, नित होंठ करे गीतों का न्यौता |
मेरी उम्र अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी,
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा |
इतना दानी नही समय कि, हर गमले मे फूल खिला दे,
इतनी भावुक नही जिंदगी, हर ख़त का उत्तर भिजवा दे |
मिलना अपना सरल नही पर, फिर भी यह सोचा करता हूँ,
जब न आदमी प्यार करेगा, जाने भुवन कहाँ पर होगा |
हो भी गया प्रेम हम मे तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |
A beautiful ghazal by Neeraj sung by Ashok Khosla.
हो भी गया प्रेम हममें तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |
मेरा कुरता सिला दुखों ने, बदनामी ने काज निकाले,
तुम जो आँचल ओढे उसमे, अम्बर ने खुद जड़े सितारे |
मैं केवल पानी ही पानी, तुम केवल मदिरा ही मदिरा,
मिट भी गया भेद तन का तो, मन का हवन कहाँ पर होगा |
मैं जन्मा इसलिए कि थोडी उम्र आंसुओं की बढ़ जाए,
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी, रोज नए कंगन बनवाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल, तुम सुखांत की मैं दुखांत की,
मिल भी गए अंक अपने तो रस अवतरण कहाँ पर होगा |
मीलों जहाँ न पता खुशी का, मैं उस आंगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ, नित होंठ करे गीतों का न्यौता |
मेरी उम्र अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी,
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा |
इतना दानी नही समय कि, हर गमले मे फूल खिला दे,
इतनी भावुक नही जिंदगी, हर ख़त का उत्तर भिजवा दे |
मिलना अपना सरल नही पर, फिर भी यह सोचा करता हूँ,
जब न आदमी प्यार करेगा, जाने भुवन कहाँ पर होगा |
हो भी गया प्रेम हम मे तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |
A beautiful ghazal by Neeraj sung by Ashok Khosla.
aansoo...
आँसू को बहुत समझाया तनहाई मे आया करो,
महफिल मे हमारा मज़ाक न उड़ाया करो,
इस पर आँसू तड़प कर बोले...
इतने लोगों मे आपको तनहा पाते हैं ...
बस इसलिए चले आते हैं!!!!!!!!
by some unknown.....
महफिल मे हमारा मज़ाक न उड़ाया करो,
इस पर आँसू तड़प कर बोले...
इतने लोगों मे आपको तनहा पाते हैं ...
बस इसलिए चले आते हैं!!!!!!!!
by some unknown.....
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