दिल नाउम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है|
लम्बी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है||
==================================
ऑफ़िस की प्रोग्रामिंग्स, मीटिंग्स, रिपोर्ट्स और जिन्दगी की भागमभाग से दूर कुछ क्षण अपनी प्रिय कवितावों, शायरी और गज़लों के साथ ।
Friday, October 23, 2009
Thursday, July 16, 2009
Hizaab...
हिजाबे फित्ना-परवर, अब उट्ठा लेती तो अच्छा था
खुद अपने हुस्न को पर्दा बना लेती तो अच्छा था
तेरी नीची नज़र खुद, तेरी इस्मत की मुहाफिज़ है
तू इस नश्तर की तेजी आज़मा लेती तो अच्छा था
तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था
Word meanings: (हिजाबे फित्ना-परवर-- veil of revolution), नश्तर -- kind of knife
A ghazal by some Lucknawi shayar ;)
खुद अपने हुस्न को पर्दा बना लेती तो अच्छा था
तेरी नीची नज़र खुद, तेरी इस्मत की मुहाफिज़ है
तू इस नश्तर की तेजी आज़मा लेती तो अच्छा था
तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही खूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था
Word meanings: (हिजाबे फित्ना-परवर-- veil of revolution), नश्तर -- kind of knife
A ghazal by some Lucknawi shayar ;)
Subscribe to:
Posts (Atom)