Tuesday, January 16, 2007

hum kis gali ja rahe hain..

हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नही ।
अपना कोई ठिकाना नही ।

अरमानों की अंजुमन में ।
बेसुध हैं अपनी लगन में ।
अपना कोई फ़साना नहीं ।
अपना कोई फ़साना नहीं ।

इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में ।
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में ।
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में ।
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में

जागी है कैसी तलब सी,
ये आरज़ू है अज़ब सी ।
लेकिन किसी को बताना नहीं,
लेकिन किसी को बताना नहीं ।

हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।

बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है ।
खामोशियों में सदा, होश भी गुम-शुदा है ।
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है ।
खामोशियों में सदा, होश भी गुम-शुदा है ।
दर दर क्या घूमता है मस्ती मे क्यों झूमता है ।
दीवान-ए-दिल ने जाना नही ।
दीवान-ए-दिल ने जाना नही ।

हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।

By Atif Aslam in his new album "Doorie".

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