Well, after a long time some addition here....
जीवित भी तू आज मरा सा,
पर मेरी तो ये अभिलाषा
चिता निकट भी पहुंच सकूं मैं,
अपने पैरों पे चलकर
फिर तू क्यों बैठ गया,
पथ पर थक कर
ऑफ़िस की प्रोग्रामिंग्स, मीटिंग्स, रिपोर्ट्स और जिन्दगी की भागमभाग से दूर कुछ क्षण अपनी प्रिय कवितावों, शायरी और गज़लों के साथ ।
Wednesday, November 07, 2007
Wednesday, July 25, 2007
Friday, April 06, 2007
Alp samay ka alp milan....
After a long time, I was reading some Hindi poems and found these lines very nice.
वो श्वेत वस्त्र कि श्वेता थी,
वो चन्द्रमुखी सुरबाला थी ।
वही हर्षिता वही दर्शिता,
नयनों में छलकती हाला थी ।
इक दो बूँद नही,
वो पूरी मधुशाला थी ।
कैसे करता मैं प्रणय निवेदन,
मै भिक्षुक वो रानी थी ।
अल्प समय का अल्प मिलन था आधी प्रेम कहानी थी॥
Tuesday, January 16, 2007
hum kis gali ja rahe hain..
हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नही ।
अपना कोई ठिकाना नही ।
अरमानों की अंजुमन में ।
बेसुध हैं अपनी लगन में ।
अपना कोई फ़साना नहीं ।
अपना कोई फ़साना नहीं ।
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में ।
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में ।
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में ।
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में
जागी है कैसी तलब सी,
ये आरज़ू है अज़ब सी ।
लेकिन किसी को बताना नहीं,
लेकिन किसी को बताना नहीं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है ।
खामोशियों में सदा, होश भी गुम-शुदा है ।
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है ।
खामोशियों में सदा, होश भी गुम-शुदा है ।
दर दर क्या घूमता है मस्ती मे क्यों झूमता है ।
दीवान-ए-दिल ने जाना नही ।
दीवान-ए-दिल ने जाना नही ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
By Atif Aslam in his new album "Doorie".
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नही ।
अपना कोई ठिकाना नही ।
अरमानों की अंजुमन में ।
बेसुध हैं अपनी लगन में ।
अपना कोई फ़साना नहीं ।
अपना कोई फ़साना नहीं ।
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में ।
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में ।
इक अजनबी सा चेहरा, रहता है मेरी नज़र में ।
इक दर्द आके ठहरा, दिन रात दर्द-ए-जिगर में
जागी है कैसी तलब सी,
ये आरज़ू है अज़ब सी ।
लेकिन किसी को बताना नहीं,
लेकिन किसी को बताना नहीं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है ।
खामोशियों में सदा, होश भी गुम-शुदा है ।
बेताबियां हैं पल पल, छाया ये कैसा नशा है ।
खामोशियों में सदा, होश भी गुम-शुदा है ।
दर दर क्या घूमता है मस्ती मे क्यों झूमता है ।
दीवान-ए-दिल ने जाना नही ।
दीवान-ए-दिल ने जाना नही ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
हम किस गली जा रहे हैं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
अपना कोई ठिकाना नहीं ।
By Atif Aslam in his new album "Doorie".
Friday, January 12, 2007
ahsaas by Atif Aslam..
मैं इक फ़र्द हूँ, या इक अहसास हूँ ।
मैं इक ज़िस्म हूँ, या रुह की प्यास हूँ ।
कि सच की तलाश है, दूर आकाश है ।
मन्जिल पास नही, क्या तू मेरे पास है ।
मन्जिल पास नही, क्या तू मेरे पास है ।
कि सच की तलाश है, दूर आकाश है ।
मन्जिल पास नही, क्या तू मेरे पास है ।
मैं इक फ़र्द हूँ, या इक अहसास हूँ ।
मैं इक ज़िस्म हूँ, या रुह की प्यास हूँ ॥
By Atif Aslam in from his new album "doorie". Almsot all the songs are very good I liked "Hum kis galli jaa rahe hain", "doorie" and "ahsaas" most. Keep rocking Atif!!
मैं इक ज़िस्म हूँ, या रुह की प्यास हूँ ।
कि सच की तलाश है, दूर आकाश है ।
मन्जिल पास नही, क्या तू मेरे पास है ।
कभी मैं अम रहूँ, कभी बे-अम रहूँ ।
गर तुझमे नही, तो फ़िर मैं महल हूँ ।
कि सच कि तलाश है, दूर आकाश है ।
मन्जिल पास नही, क्या तू मेरे पास है ।
मन्जिल पास नही, क्या तू मेरे पास है ।
कि सच की तलाश है, दूर आकाश है ।
मन्जिल पास नही, क्या तू मेरे पास है ।
मैं इक फ़र्द हूँ, या इक अहसास हूँ ।
मैं इक ज़िस्म हूँ, या रुह की प्यास हूँ ॥
By Atif Aslam in from his new album "doorie". Almsot all the songs are very good I liked "Hum kis galli jaa rahe hain", "doorie" and "ahsaas" most. Keep rocking Atif!!
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