Monday, September 18, 2006

Mushkil hai apna mel priye...

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


तुम एम. ए. फ़र्स्ट डिवीजन हो, मैं हुआ मैट्रिक फ़ेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


तुम फौजी अफ़्सर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ ।

तुम रबडी खीर मलाई हो, मैं सत्तू सपरेटा हूँ ।

तुम ए. सी. घर में रहती हो, मैं पेड के नीचे लेटा हूँ ।

तुम नयी मारूती लगती हो, मैं स्कूटर लम्बरेटा हूँ ।

इस कदर अगर हम छुप-छुप कर, आपस मे प्रेम बढायेंगे ।

तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जायेंगे ।

सब हड्डी पसली तोड मुझे, भिजवा देंगे वो जेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


तुम अरब देश की घोडी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये ।

तुम दीवली क बोनस हो, मैं भूखों की हडताल प्रिये ।

तुम हीरे जडी तश्तरी हो, मैं एल्मुनिअम का थाल प्रिये ।

तुम चिकेन-सूप बिरयानी हो, मैन कंकड वाली दाल प्रिये ।

तुम हिरन-चौकडी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये ।

तुम चन्दन-वन की लकडी हो, मैं हूँ बबूल की चाल प्रिये ।

मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मार मुझे गुलेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


मैं शनि-देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कन्चन काया हो ।

मैं तन-से मन-से कांशी राम, तुम महा चन्चला माया हो ।

तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ ।

तुम राज घाट का शान्ति मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दन्गा हूँ ।

तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफ़ा अजन्ता की ।

तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूँ भगवन्ता की ।

तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम-ठेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


तुम नयी विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ ।

तुम ए. के.-४७ जैसी, मैं तो इक देसी कट्टा हूँ ।

तुम चतुर राबडी देवी सी, मैं भोला-भाला लालू हूँ ।

तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिडियाघर का भालू हूँ ।

तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वी. पी. सिंह सा खाली हूँ ।

तुम हँसी माधुरी दीक्षित की, मैं पुलिसमैन की गाली हूँ ।

कल जेल अगर हो जाये तो, दिलवा देन तुम बेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पाँच सितारा होटल हो ।

मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम रेड-लेबल की बोतल हो ।

तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कॄषि-दर्शन की झाडी हूँ ।

तुम विश्व-सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाडी हूँ ।

तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला हूँ चोंगा ।

तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूँ घोंघा ।

दस मन्ज़िल से गिर जाउँगा, मत आगे मुझे ढकेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


तुम सत्ता की महरानी हो, मैं विपक्ष की लाचारी हूँ ।

तुम हो ममता-जयललिता सी, मैं क्वारा अटल-बिहारी हूँ ।

तुम तेन्दुलकर का शतक प्रिये, मैं फ़ॉलो-ऑन की पारी हूँ ।

तुम गेट्ज़, मटीज़, कोरोला हो, मैं लेलैन्ड की लॉरी हूँ ।

मुझको रेफ़री ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


मैं सोच रहा कि रहे हैं कब से, श्रोता मुझको झेल प्रिये ।

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये ।


by Pradeep Choubey.

Last week, I happened to read it and I liked this a lot.

9 comments:

Varun Jain said...

i think this poem is by Kavi Sunil Jogi. I heared this on Ramdev baba's patanjali inauguration function.

daksh kadian said...

very nice i lyk it

Manish said...

this is a unique poem for girls of new era.
if any one makes them listen then they(Girls)can not understand properly and they will understand good their self.

although i am also an English poet and i collect all the poems which have been selected by the people.

any one can send me poem,songs etc.
to manishsidhi.123@rediffmail.com

Jans said...

Super likes...hehehe..funny!! :)

Unknown said...

Its superb task by the poet and I liked much and except me alots of people liked it. I want to say to other people that please send me your and other poems of other poets so just send me
My email is : mohdhasnain92@gmail.com

Unknown said...

Bhut bdiya

amit kumar said...

Yes

कहे कुंदन कविराय said...

शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद

Unknown said...

Very very nice