After a long time, I was reading some Hindi poems and found these lines very nice.
वो श्वेत वस्त्र कि श्वेता थी,
वो चन्द्रमुखी सुरबाला थी ।
वही हर्षिता वही दर्शिता,
नयनों में छलकती हाला थी ।
इक दो बूँद नही,
वो पूरी मधुशाला थी ।
कैसे करता मैं प्रणय निवेदन,
मै भिक्षुक वो रानी थी ।
अल्प समय का अल्प मिलन था आधी प्रेम कहानी थी॥